Monday, December 9, 2024

बोझ

 यदि बोझ बने तो अपने भी गिरने से रोक नहीं पाएंगे।

समाज और जीवन के झंझावात,

आपको अपनी जड़ों,

अपने संस्कारों से दूर,

कूड़े में सड़ने को धरा पर यूं गिराएंगे, कि,

कितने भी, कहीं भी अपने आपको थाम नहीं पाएंगे,

वह अपनी शक्ति से अपने हाथों से संभालेंगे आपको पर,

आप अपनी कमजोरी से टूटेंगे,

उनकी पकड़ से फिसल जाएंगे।

टूट टूट गिरते समाज के कमजोरों की दुनिया में घिर जाएंगे,

समाज की जड़ों में दिखेंगे आप

सड़ेंने को अभिशप्त हो जाएंगे,

और आपके अपने?

वह अपने हाथों को देख देख आपकी छूटी पकड़ से सामान्य होती

रक्तकोशिकन की तरह आपको,

एक दर्द से घटाते घटाते,

बस एक याद बनाकर रख पाएंगे।